शुक्रवार, 29 मार्च 2013

नारी बनाम राजनीती

माना कि समाज मे नारि के खिलाफ अपराधो / पाइ जा रहि खबरोन मे व्रधि मिल रहि हे , किन्तु समाज मे एस कौन स तबका हे जो शोशन ,अपरधो और भय से सुरक्षित हो - - जान माल और सम्मान कि द्रष्टि से सुरक्षित मह्सूस कर रहा हो! क्या संभव हे की चुनावों के निकट नारी नाम के कार्ड को भुनाने के लिए सब कुछ प्रायोजित पहले से शाजिशन हो-और साथ ही संसद मे लंबित महिला बिल का भी सफल विकल्प हो ! ज्ञात हो की भ्रष्ट नेता भ्रष्ट लॊग सत्ता को पाने के लिए ( शाम दाम दंड भेद चाणक्य निति और राक्षसी प्रवात्ति अपनाने ) कुछ भी करने के लिए तत्पर हें !और दूसरी तरफ समाज के नागरिकों को विभिन्न गुटों में विभाजित करके सुरक्षा और सुविधाओं के लिए विभिन्न आन्दोलन चलाना किस प्रकार से न्यायोचित ह जबकि उस समस्या से समाज के सभी वर्ग पीड़ित हों ! अपने ही दल की सुरक्षा करने का गुण तो पशुओं के दल में भी पाया जाता हे ! और "मानव" समाज अन्य प्राणियों से श्रेष्ट माना गया हे !.अन्तत: सभी नागरिकों को एकता में रहकर ही प्रयास करना चाहिए और हमारी देश की एकता को तोड़ने वाले लोगों नेताओं को करार जवाब देना चाहिए ! ऐसा मेरा मत हे जी !.जय नागरिक जय भरत.!